Last updated on : 15 Apr, 2025
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गिलोय (Giloy), जिसे हिंदी में गुडूची और अमृता के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसका वैज्ञानिक नाम Tinospora cordifolia है। यह एक बेलदार पौधा है जो कि भारत में विशेष रूप से पाया जाता है। गिलोय का उपयोग आयुर्वेद में सदियों से किया जा रहा है और इसे कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।
गिलोय का महत्व आयुर्वेद में अत्यधिक है क्योंकि यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने में मदद करती है। इसके तने, पत्ते और जड़ें सभी औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं लेकिन सबसे अधिक उपयोग गिलोय के तने का किया जाता है। गिलोय को आयुर्वेद में ‘रसायन’ के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है और उम्र को बढ़ाता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, शरीर की सफाई करने और विभिन्न रोगों से बचाव करने में मदद करता है। गिलोय में विटामिन सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा, इसमें रोग-विकारी, सूजन को कम करना एवं बैक्टीरिया को खत्म करने वाले गुण भी होते हैं, जो इसे एक अद्वितीय औषधि बनाते हैं।
गिलोय एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, पाचन सुधारने और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करती है। इसमें प्राकृतिक रूप से मौजूद पौष्टिक तत्व निम्नलिखित हैं:
पोषक तत्व | मात्रा (100 ग्राम गिलोय रस में अनुमानित) | लाभ |
कैल्शियम | 26 mg | हड्डियाँ मजबूत करता है। |
फाइबर | 1.4 g | पाचन तंत्र ठीक रखता है। |
आयरन | 1.0 mg | खून की कमी में लाभकारी |
विटामिन C | 3.0 mg | इम्यून सिस्टम मजबूत करता है। |
एंटीऑक्सीडेंट्स | प्रचुर मात्रा | शरीर को विषैले तत्वों से बचाता है। |
गिलोय के कई औषधीय गुण हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी बनाते हैं:
गिलोय के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
गिलोय का सेवन बुखार, डेंगू और मलेरिया जैसे संक्रमणों में राहत प्रदान करता है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है और संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। गिलोय के रस का सेवन करने से बुखार के लक्षणों में कमी आती है और शरीर की ऊर्जा स्तर में भी सुधार होता है।
गिलोय पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है जिससे अपच, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। यह पाचन एंजाइमों के उत्पादन को बढ़ावा देती है जिससे भोजन का बेहतर पाचन होता है। गिलोय का सेवन करने से आंतों की सेहत में सुधार होता है और यह पेट के संक्रमणों से भी बचाती है।
गिलोय का सेवन रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होती है। गिलोय के सेवन से त्वचा पर होने वाले दाग-धब्बों में कमी आती है और यह त्वचा को स्वस्थ बनाए रखती है।
गिलोय में शरीर में अत्यधिक रक्तचाप की मात्रा को नियंत्रित करने वाले गुण रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह इंसुलिन के स्तर को बढ़ाने में भी सहायक होती है। मधुमेह के रोगियों के लिए गिलोय का सेवन एक प्राकृतिक उपचार के रूप में काम कर सकता है।
गिलोय का सेवन त्वचा की सेहत में सुधार लाता है। यह त्वचा को निखारने और चमकदार बनाने में मदद करती है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो कि त्वचा के लिए काफी बेहतरीन माना जाता है।
गिलोय का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा स्तर में वृद्धि होती है। यह थकान और कमजोरी को दूर करने में मदद करती है जिससे व्यक्ति अधिक सक्रिय और ऊर्जावान महसूस करता है।
“गिलोय के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जैसे बुखार और संक्रमण में राहत, पाचन में सुधार, रक्त शुद्धिकरण, मधुमेह में सहायक, त्वचा की सेहत में सुधार, और ऊर्जा स्तर में वृद्धि। इसके साथ ही, शहद के फायदे भी अद्भुत हैं, जो आपके स्वास्थ्य को और मजबूत बना सकते हैं। इलायची, जो पाचन को सुधारने में मदद करती है, और भृंगराज, जो बालों और त्वचा के लिए लाभदायक है, भी आपकी सेहत में सुधार ला सकते हैं। इसी तरह, अजवाइन के उपयोग भी स्वास्थ्य को सवस्थ रखने में मदद करते हैं। इन सभी जड़ी-बूटियों का समग्र सेवन आपको प्राकृतिक तरीके से स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है।”
अगर गिलोय के कई फायदे हैं तो इसके नुकसान भी हो सकते हैं अगर इसका सेवन उपयुक्त तरीके से नहीं किया जाए तो, जो कि आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
गिलोय का सेवन कई तरीके से किया जा सकता है:
गिलोय का सेवन करते समय आप लोगों को कुछ सावधानियाँ भी बरतनी चाहिए ताकि ये आपकी सेहत के ऊपर कोई दुष्प्रभाव न डाले। ऐसी कुछ सावधानियाँ ये हो सकती है:
गिलोय एक अत्यंत लाभकारी औषधि है जो आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसके सेवन से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है, पाचन तंत्र सुधारता है, और कई प्रकार के संक्रमणों से बचाव होता है। लेकिन इसके साथ ही इसके दुष्प्रभावों को भी समझना जरूरी है। संतुलित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के साथ इसका सेवन करने से आप इसके अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, गिलोय का उपयोग करते समय सावधानी और सही मार्गदर्शन का पालन करना आवश्यक है।
गिलोय का सही और संतुलित सेवन हमें स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकता है। इसके औषधीय गुणों के कारण, गिलोय को एक प्राकृतिक उपचार के रूप में देखा जा सकता है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
इस प्रकार गिलोय का सेवन एक समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को अपनाने में सहायक है। यह न केवल बीमारियों से लड़ने में मदद करता है बल्कि शरीर को ऊर्जा और ताजगी भी प्रदान करता है। इसलिए गिलोय को अपने दैनिक आहार में शामिल करना एक स्मार्ट और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प हो सकता है।
गिलोय एक प्राकृतिक औषधि है जो बुखार, सर्दी-खांसी, डेंगू, मधुमेह, जोड़ों के दर्द और इम्यून सिस्टम कमजोर होने जैसी बीमारियों में फायदेमंद मानी जाती है।
गिलोय, एक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली एक प्राकृतिक औषधि है, जो पाचन सुधारती है और बार-बार होने वाले सर्दी-जुकाम में राहत देती है।
गिलोय का सेवन बुखार, संक्रमण या कमजोरी में फायदेमंद होता है, लेकिन गर्भवती महिलाएं, ऑटोइम्यून रोग वाले लोग इसका सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करें।
गिलोय का रोजाना सेवन सीमित मात्रा में करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह इम्युनिटी बढ़ाता है, पाचन सुधारता है और सर्दी-खांसी से बचाव में मदद करता है।
गिलोय का प्रयोग ज्यादा मात्रा में और निरंतर करने पर यह किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।
गिलोय का रस रोज़ाना सुबह खाली पेट 1-2 चम्मच पानी मिलाकर पीना फायदेमंद होता है। इसे लगातार 1-2 महीने तक पीना सुरक्षित और लाभकारी माना जाता है।
गिलोय एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करती है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने पर लीवर को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए इसका संतुलित मात्रा में ही सेवन करें।
गिलोय एक प्राकृतिक औषधि है, लेकिन अधिक मात्रा में लेने पर यह कब्ज, पेट दर्द या लो ब्लड शुगर जैसी हल्की परेशानियाँ दे सकती है।
गिलोय घनवटी गोली सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेनी चाहिए। यह समय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
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